श्रद्धांजलि मेरे जीवन के सबसे बड़े मार्गदर्शक को
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श्रद्धांजलि मेरे जीवन के सबसे बड़े मार्गदर्शक को🙏
कुछ रिश्ते खून के नहीं होते, लेकिन उनका स्थान जीवन में किसी अपने से भी बढ़कर हो जाता है। मेरे फूफा जी (स्वर्गीय श्री जयनारायण सिंह) मेरे लिए वही थे। जब मैं बहुत छोटा था और बाबूजी का साया सिर से उठ गया, तब ज़िंदगी जैसे थम सी गई थी। लेकिन तभी उन्होंने न सिर्फ मुझे सहारा दिया, बल्कि मुझे अपना बेटा मानकर पाला-पोसा। मैंने उनका घर नहीं, अपना घर पाया — और उनके स्नेह, अनुशासन और संरक्षण में पूरे १० -१२ साल बिताए।
वो सख्त ज़रूर थे, लेकिन उनका दिल बेहद कोमल था। उनके हर डांट के पीछे मेरा भविष्य संवारने की चिंता छिपी होती थी। उन्होंने हमेशा मुझे सही राह दिखाने की कोशिश की — चाहे पढ़ाई हो, जीवन के मूल्य हों, या लोगों से व्यवहार। वे खुद बहुत साधारण जीवन जीते थे, लेकिन उनके विचार और संस्कार असाधारण थे। गाँव पंचायत में हर कोई उनका सम्मान करता था, क्योंकि वे सच्चाई, ईमानदारी और न्याय के प्रतीक थे।
वो कहा करते थे — “जीवन में कुछ भी बनो, लेकिन अच्छा इंसान जरूर बनना।” आज जब मैं अपने जीवन में कुछ भी अच्छा करता हूँ, तो उनकी कही ये बात सबसे पहले याद आती है। उनके दिए हुए जीवन मूल्यों और शिक्षा ने मुझे इस लायक बनाया कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हो सका। आज जो कुछ भी मैं हूँ, जो भी पहचान बनी है मेरी, उसमें उनका हाथ सबसे बड़ा है। मैं उनका ऋणी हूँ — जन्मों-जन्मों तक।
"मुझे आज भी याद है जब मैंने I.C.W.A.I. (Institute of Cost & Works Accountants of India) का प्रवेश परीक्षा पास किया था, तो वे बहुत खुश हुए थे।' और बहुत हिं जिज्ञासा के साथ पूछे थे-- इसे पढ़कर इंसान क्या बनता है ? उस दिन पहली बार मुझे एहसास हुआ कि मैं अकेला नहीं हूँ — मेरे पास एक छाया है जो हमेशा मेरी रक्षा करेगी।"
"उन्होंने कभी अधिक साधन नहीं जुटाए, लेकिन अपनी ईमानदारी और मेहनत से जो सम्मान कमाया, वह आज भी गांव -पंचायत, सगे -सम्बन्धियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने अपने सिमित संसाधन के साथ तथा छोटे जमीन के टुकड़े को कर्मभूमि बनाकर दिखाया कि लगन और निष्ठा से हर सपना पूरा किया जा सकता है।"
"आज मैं जो कुछ भी सोच पा रहा हूँ या लिख पा रहा हूँ , तो लगता है मानो मैं उन्हीं के शब्द दोहरा रहा हूँ। उन्होंने मेरे ज़ेहन में जो बीज बोए थे, वही अब मेरी सोच और व्यवहार में फल-फूल रहे हैं।"
आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें, उनकी सीखें, और उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहेगा। उनके बिना जीवन अधूरा सा लगता है, लेकिन उनके द्वारा सिखाया हर पाठ मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत देता है।
फूफा जी को मेरी ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि। आपका स्थान मेरे जीवन में कोई नहीं ले सकता। आप हमेशा मेरी आत्मा में जिंदा रहेंगे।
आज भी जब कभी मैं उच्च या तुच्छ के दंश से पीड़ित होता हूँ तब यह संस्मरण मेरे चित्त को स्वच्छ कर मुझे जीवन के प्रति आदर, आनंद और उत्साह से भर देता है।~ कामोद कुमार सिंह 🙏🥀🎕
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