कुछ छोटी छोटी आदतें हैं जो मेरी है और शायद आपकी भी होनी चाहिये । ये बस इसलिये लिख रहा हूँ कि अगर आप ऐसा करते हो तो आपके लिये ढेर सारा प्यार और कोशिश करें वो जो ऐसा कर पाये ।
== सीढ़ी चढ़ते वक़्त अगर कोई बुज़ुर्ग धीरे धीरे चढ़ पा रहे हो सहारा ले के तो तेज़ आगे निकलने की जगह थोड़ा इंतज़ार कर लीजिए वो ख़ुद एक तरफ़ हट के आपको जाने को कहेंगे और उन्हें अच्छा लगेगा ।
==अगर पता आपको कोई बुज़ुर्ग तेज़ सुनते हैं तो खुद ही पहली बार में ऊँचा और धीरे बोलें उनको देखते हुये उन्हें अंदर से बुरा न लगेगा कि एक बार में समझ नहीं पाते वो ।
==कभी अगर बाज़ार में खुद के घर के या जान पहचान के कोई भले ही हल्के सामान को भी हाथों से पैदल ले जा रहें हो तो कोशिश करें वो सामान या हो पाये तो उन्हें घर तक पहुँचा दे । आपका थोड़ा वक्त जायेगा पर प्यार से उनका हाथ सर पे आयेगा ।
==एक वक्त तय होता जब उन्हें चाय पीने या कुछ खाने की आदत होती है और कभी कभी घर पे आप होते हो कोई और नहीं होता है तो अगर हो पाये चाय बना कर कुछ वक्त साथ बैठ जाइये जो बातें सुनने को मिलेगी मुस्कान खुद चेहरे पे खिलेगी ।
शेष बातें फिर कभी...
कामोद कुमार सिंह
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